मिर्गी (Epilepsy) क्या है ? जाने 1 Click में !

Epilepsy (Seizure)

Table of Contents

परिचय (Introduction)

Epilepsy (मिर्गी) एक ब्रेन की बीमारी है जिसमें ब्रेन के अंदर अचानक अत्यधिक electric current प्रवाहित होने की वजह से अचानक हाथ – पैर का ऐंठना , झटके आना , बेहोश होना या गुम हो जाने जैसे लक्षण आते हैं । इसे कई और नामों जैसे – seizure, झटका , चमकी , आकाशी , fits, दौरा इत्यादि नामों से भी जाना जाता है । यह कोई मानसिक या जादू – टोने से होने वाली बीमारी नहीं है । 

यह बहुत ही आम बीमारी है । यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है । महिला और पुरुष में इस बीमारी का प्रतिशत लगभग एक समान है । यह लगभग 1% आबादी को प्रभावित करती है । यानी हमारे देश में लगभग एक करोड़ 40 लाख लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं । यदि हम अपने राज्य बिहार की बात करें तो लगभग 13 लाख एपिलेप्सी  के मरीज हैं । इनमें से बहुत से मरीज जानकारी के अभाव में सही इलाज से वंचित रह जाते हैं । 

मिर्गी ( Seizure ) क्या है ?

मिर्गी क्या है , इसे समझने के लिए हमें ब्रेन के कुछ basic बातों को समझना होगा ।

हमारा ब्रेन खरबों neurons से बना होता है । शरीर के हरेक हिस्से को control करने के लिए ब्रेन में एक खास area होता है जो कि बहुत से neurons से बना होता है । उदाहरण के लिए दायें हाथ के movement को कंट्रोल करने के लिये ब्रेन के बाएँ हिस्से में एक area होता है । यदि brain के इस area का neurons उत्तेजित हो जाए तो हमारा दायाँ हाथ हिलने या काम करने लगेगा । यदि यही area अत्यधिक उत्तेजित हो जाए तो हमारे दायें हाथ मे abnormal मूवमेंट (जैसे- अकड़ाहट, झटके आना इत्यादि ) होने लगेगा । इसे ही हम seizure कहते हैं । 

यदि एक साथ पूरे ब्रेन का न्यूरॉन उत्तेजित हो जाए तो हमारा सारा हाथ – पैर एक साथ हिलने लगेगें और हम बेहोश भी हो  जाएंगे । इस तरह के seizure को हम GTCS ( Generalized Tonic – Clonic Seizure या generalized seizure कहते हैं । 

अतः seizure में ब्रेन के अंदर कुछ न्यूरॉन्स अत्यधिक उत्तेजित हो जाते हैं या इनमें अत्यधिक करेंट प्रवाहित होता है जिससे शरीर का कोई हिस्सा अचानक से abnormal मूवमेंट करने लगता है और हम बेहोश भी हो सकते हैं । 

Seizure और Epilepsy में क्या अंतर है ?

मिर्गी के एक झटके को seizure कहते हैं जबकि ऐसी बीमारी जिसमें बार – बार seizure आते हों या आने की संभावना हो उसे हम epilepsy कहते हैं । यानि epilepsy एक बीमारी है जबकि seizure उसका एक लक्षण है । लेकिन आम बोलचाल में लोग दोनों शब्दों को पर्यायवाची शब्द के रूप में इस्तेमाल करते हैं । 

Epilepsy कितनी common है और किस उम्र के लोगों को ज्यादा होती है ?

यह बहुत ही common बीमारी है । न्यूरोलोजी OPD में headache के बाद यह सबसे आम बीमारी है । आँकरों की बात करें तो लगभग 1% लोग इससे ग्रसित हैं । इस प्रकार हमारे बिहार में लगभग 11 लाख लोगों को यह बीमारी है । Epilepsy के इतने मरीजों के लिए हमारे बिहार में Neurologist की संख्या सिर्फ 40-45 है । 

Epilepsy नवजात शिशु से लेकर old age तक सभी को हो सकती है । लेकिन बच्चे और युवा इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं । महिला और पुरुष दोनों को यह बीमारी लगभग समान रूप से प्रभावित करती है । 

Epilepsy के क्या कारण हैं ?

कोई भी बीमारी जो ब्रेन को damage करती हैं वो epilepsy करा सकती हैं । एपिलेप्सी के बहुत से कारण हैं जो अलग- अलग उम्र के लिए अलग – अलग होते हैं । 

A. नवजात शिशु –

  1. जब बच्चा जन्म के बाद रोता है, तभी बच्चे के फेंफरे में हवा जाती है और ब्रेन तक ऑक्सीज़न पहुंचता है । यदि बच्चा जन्म के तुरंत बाद न रोये तो बच्चे के ब्रेन में तुरंत  ऑक्सीज़न नहीं पहुँच पाता है । इससे बच्चे का ब्रेन damage हो सकता है जिससे एपिलेप्सी भी हो सकती है । इस तरह के मरीज में एपिलेप्सी के साथ – साथ हाथ – पैर की कमजोरी भी हो सकती है । इस बीमारी को लोग आम भाषा में CP ( Cerebral Palsy ) भी कहते हैं । यह बीमारी बच्चों में एपिलेप्सी का बहुत बड़ा कारण है । 
  2. जन्म के समय शिशु के ब्लड में  sugar या calcium की मात्रा कम हो जाना भी seizure का कारण हो सकता है । शुगर की कमी उन बच्चों में ज्यादा होती है जिनकी माता को diabetes होता है । 
  3. जन्म के दौरान सिर में चोट लगने से भी एपिलेप्सी की संभावना होती है । 
  4. जन्म के तुरंत बाद बहुत ज्यादा jaundice (पीलिया) होने से भी शिशु के ब्रेन पर असर होता है और यह एपिलेप्सी का कारण बन सकता है । 

इन कारणों में से ज़्यादातर को हम अच्छे  हॉस्पिटल , जहां बच्चे के डॉक्टर उबलब्ध हों , में प्रसव करावाकर रोक सकते हैं । 
B. बचपन-

  1. Genetic- कई बार एपिलेप्सी जिनैटिक भी होती  है । ऐसी स्थिती में परिवार के अन्य सबंधियों जैसे – भाई , बहन, चाचा, मामा, मौसी , दादा – दादी , नाना -नानी इत्यादि को भी एपिलेप्सी हो सकती  है । लेकिन कई बार निकट संबंधियों में एपिलेप्सी नहीं भी हो सकती है । 
  2. Head injury- सिर में चोट लगने के बाद ब्रेन के अंदर दाग आ सकता है जिससे एपिलेप्सी की संभावना बढ़ जाती है । इसलिए  रोड  एक्सिडेंट बढ्ने से एपिलेप्सी मरीजों की संख्या बढ़ जाती है । 
  3. Encephalitis- इस उम्र में encephalitis या दिमागी बुखार एपिलेप्सी का महत्वपूर्ण कारण है । समय पर टीका लगवा कर encephalitis को काफी हदतक रोका जा सकता है । ये टीके अब सरकार द्वारा मुफ्त दिये जाते हैं । 

C. किशोरावस्था ( Adolescence ) और युवावस्था

  1. Head Injury
  2. NCC (Neurocysticercosis)- NCC या ब्रेन में कीड़े की गांठ हमारे देश में एपिलेप्सी का बहुत बड़ा कारण है । यह Taenia solium (Pork tapeworm) के अंडे से होता है, जोकि हमारे stool (पखाने) में पाया जाता है । प्रदूषित खाने , खासकर गंदे सलाद के जरिये यह हमारे पेट में पहुँच जाता है । आंत से यह ब्रेन सहित शरीर के अन्य हिस्से में भी पहुँच जाता है । ब्रेन में पहुँच कर यह गांठ बनाता है जिसमे  एपेलेप्सी की संभावना काफी जाता होती है । सलाद खाते समय सफाई का ध्यान रखकर हम इसे आसानी से रोक सकते हैं । स्वच्छ भारत अभियान के बाद शौचालय के उपयोग बढ्ने से NCC में कुछ कमी देखने को मिली है । फिर भी, यह अभी तक एपिलेप्सी का बहुत बड़ा कारण है । 
  3. Tuberculoma- ब्रेन में TB की गांठ को Tuberculoma कहते हैं । यह भी हमारे देश में एपिलेप्सी का महत्वपूर्ण कारण है । जन्म के बाद BCG का टीका लगाकर इसकी संभावना को कम किया जा सकता है । 

D. Old age- 

  1. Stroke- Stroke या लकवा में ब्रेन के किसी हिस्से में अचानक खून का प्रवाह रुक जाता है , जिससे वह हिस्सा damage हो जाता है। ब्रेन के इस damaged हिस्से से seizure आने की संभावना रहती है । 
  2. Head injury- Old age में गिरने की वजह से सिर में चोट लगने की काफी संभावना रहती है , जिससे seizure आने की संभावना बढ़ जाती है । 

ऊपर हमने सिर्फ महत्वपूर्ण कारणों के बारे में बताया है । इनके अलावा भी एपिलेप्सी के बहुत से कारण हैं । 

लगभग 30% cases में एपिलेप्सी के कारण का पता नहीं चल पता है । 

Epilepsy कितने प्रकार की होती हैं और इसके क्या लक्षण हैं ?

वैसे तो एपिलेप्सी का classification एक वृहद topic है, पर मोटे तौर पर समझने के लिए हमलोग इसे दो कैटेगरी में बाँट सकते हैं –

  1. Focal seizure- इसमें ब्रेन के किसी खास हिस्से में stimulation (excessive current) होता है, जिसके कारण हमारे शरीर का कोई एक हिस्सा जैसे – हाथ, पैर, या चेहरा अचानक से काँपने या झटके मारने लगता है । यदि यह करेंट पूरे ब्रेन में फैल जाए तो यह कंपन भी पूरे  शरीर में में फैल जाता है । अतः focal seizure में कंपन या झटका शरीर के एक हिस्से से शुरू होता है और बाद में यह पूरे शरीर में फैल सकता है । 
  2. Generalized seizure (GTCS)- इसमें पूरे ब्रेन में एकसाथ stimulation होता है , जिससे कंपन या झटका पूरे शरीर में एक साथ शुरू होता है । इसमें मरीज बेहोश हो जाता है और उसे उस घटना के बारे में याद नहीं रहता है । Generalized seizure में कई बार जीभ कट जाती है और कपड़े में पिसाब भी हो जाता है । यह seizure प्रायः हमें देखने को मिलता है । 

इसके अलावा focal और generalized seizure के कई subtypes होते हैं । नीचे हम कुछ महत्वपूर्ण subtypes की चर्चा करेंगें। 

  • Absence seizure – यह प्रायः बच्चौ में मिलता है । इसमें बच्चा थोरी देर के लिए गुम हो जाता है और बात करने पर response नहीं करता है । कुछ seconds या minute के बाद बच्चा बिल्कुल ठीक हो जाता है । यह दौरा बैठे – बैठे या खड़े – खड़े ही आ जाता है और बच्चा गिरता नहीं है । शिक्षक प्रायः इस बच्चे के बारे में शिकायत करते हैं कि बच्चा पढ़ाई में ध्यान नहीं देता है । 
  • Myoclonic jerks- इसमें शरीर के किसी हिस्से में या पूरे शरीर में अचानक क्षणिक झटका आता है । यह झटका एक सेकंड से भी कम के लिए आता है । इस दौरान मरीज बेहोश नहीं होता है। लेकिन पैर में झटका आने पर मरीज नीचे गिर सकता है । 
  • Tonic seizure- इसमें शरीर के किसी एक हिस्से में अचानक ऐंठन होती है जोकि कुछ सेकंड से मिनट तक रह सकता है ।
  • Atonic seizure- इसमे अचानक शरीर का tone (normal tightness) अचानक से कम हो जाता जाता है , जिससे मरीज अचानक से नीचे गिर जाता है । इस दौरान मरीज होश में रह सकता है ।  

Status Epilepticus क्या है ?

Seizure का attack प्रायः 2-3 मिनट में स्वतः रुक जाता है । पर यदि generalized seizure का attack 5 मिनट के बाद भी जारी रहे तो इसे हम status epilepticus कहते हैं । Generalized seizure 5 मिनट से ज्यादा देर तक होने पर ब्रेन में damage होने की संभावना बढ़ जाती है । कई बार यह जानलेवा भी हो सकता है । अतः यह एक emergency condition होती है । ऐसे मरीज को यथाशीघ्र हॉस्पिटल ले जाना चाहिए । 

Epilepsy की Diagnosis कैसे की जाती है ?

एपिलेप्सी की diagnosis मुख्यतः लक्षण के आधार पर की जाती है । इसमें मरीज का अनुभव और observer का statement काफी महत्वपूर्ण होता है । 

इसके अलावा CT scan, MRI, EEG इत्यादि की जरूरत भी होती है । 

कभी – कभी कुछ ब्लड टेस्ट की भी जरूरत होती है । 

Seizure mimic क्या हैं ?

कई बार heart या ब्रेन की अन्य बीमारियों के लक्षण seizure जैसे हो सकते हैं। इन्हें हम seizure mimic कहते हैं । इन्हें पहचानना कफी जरूरी है क्योंकि इनके treatment बिल्कुल अलग होते हैं । कुछ महत्वपूर्ण mimic निम्न हैं –

  1. Syncope- यह मुख्यतः ब्रेन में अचानक कम ब्लड पहुँचने से होता है । इसमे आँख के सामने अचानक अंधेरा छा  जाता है और मरीज थोड़ी देर के लिए बेहोश हो जाता है । यह बीमारी प्रायः heart और ब्लड प्रेसर से संबन्धित होती है । 
  2. Pseudo-seizure- यह बीमारी स्ट्रैस और psychiatric disease से संबन्धित है । इसमें भी मरीज seizure की तरह लक्षण लेकर आता है। कई बार इसे पहचानना कठिन हो जाता है । 
  3. Migraine- कभी – कभी migraine के मरीज भी seizure की तरह लक्षण लेकर आ सकते हैं । इन मरीजों को प्रायः सिरदर्द की भी तकलीफ रहती है । 
  4. Sleep disorder- कुछ मरीजों को नींद में abnormal body movement की problem रहती है जोकि seizure के जैसी हो सकती है । ऐसी स्थिती में PSG ( Polysomnography) नामक जांच helpful होती है । iइसके अलावा कई बार नींद पूरी नहीं होने पर या नींद की दवाई के प्रभाव से लोग अचानक नीचे गिर सकते हैं । 

Epilepsy का इलाज दवाओं से संभव है !

यदि diagnosis सही हो और appropriate medicine सेलेक्ट किया जाए तो लगभग 70% एपिलेप्सी को सिर्फ मैडिसिन से ठीक किया जा सकता है । कभी – कभी 2 या 3 एपिलेप्सी के मैडिसिन की भी जरूरत पड़ती है । 

यदि एपिलेप्सी 2-3 मैडिसिन से भी कंट्रोल नहीं होता है तो इसे हम DRE (Drug Resistant Epilepsy) कहते हैं । 

यदि मैडिसिन का selection और dose सही न हो तो एपिलेप्सी को कंट्रोल करना कठिन होता है । 

यदि seizure लगातार आते रहे तो यह बच्चे के मानसिक विकास को काफी प्रभावित करता है । 

क्या दवाओं के अलावा भी epilepsy के अन्य इलाज हैं ?

लगभग 20-30% एपिलेप्सी  DRE होते हैं । ऐसी स्थिति में Epilepsy Surgery काफी कारगर होती हैं । इसमें seizure उत्पन्न करने वाले ब्रेन के हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है । 

इसके अलावा Diet therapy (Keto Diet), वीएनएस (Vagal Nerve Stimulation), Trigeminal Nerve Stimulation, Radiosurgery इत्यादि भी एपिलेप्सी के treatment में मददगार होते हैं । 

यदि किसी को seizure का attack आ रहा हो तो क्या करें ?

यदि किसी मरीज को Generalized seizure आ रहा हो तो –

  1. मरीज के सिर-गर्दन को किसी एक तरफ करके लिटा दें । 
  2. नाक – मुँह को बंद न करें ।
  3. नाक – मुँह में में पानी या चम्मच न डालें । 
  4. आस – पास से चोट लगने वाले सामान को हटा दें । 
  5. जूता – चप्पल न सुंघाए । 
  6. Midazolam नामक दवा का spray यदि उपलब्ध हो तो इसे नाक में  देने पर seizure जल्द रुक सकता है । 
  7. ज़्यादातर seizure 2-3 मिनट में रुक जाते हैं । यदि यह 5 मिनट तक न रुके तो मरीज को Status Epilepticus हो रहा है , उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाएँ । 

यदि किसी मरीज को focal seizure आ रहे हैं और मरीज पूरी तरह से होश में है तो ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है । मरीज को हॉस्पिटल ले जाकर डॉक्टर से मिलें । 

Epilepsy के मरीज को क्या परहेज करना चाहिये ?

Epilepsy के मरीज को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिये जिससे दौरा आने की संभावना कम हो और यदि दौरा आ जाए तो injury और जान का खतरा न हो । 

  1. दवाएं नियमित लें – दवा नियमित नहीं लेने पर seizure attack की संभावना काफी बढ़ जाती । 
  2. पूरी नींद लें – नींद पूरी नहीं लेने पर seizure आने की संभावना बहुत बढ़ जाती है । इसलिए एपिलेप्सी के मरीज को नियमित समय पर सो जाना चाहिये । 
  3. बुखार आने पर भी seizure आने की संभावना काफी बढ़ जाती है । इसलिए बुखार आने पर एपिलेप्सी के मरीज को तुरंत fever की दवा ले लेनी चाहिये । 
  4. खतरे वाले जगह पर जाने से बचें – एपिलेप्सी के मरीज को स्वीमिंग पूल, नदी , तालाब इत्यादि मेन नहीं नहाना चाहिये। आरा मशीन और इस तरह के अन्य जगह जहां गिरने पर चोट लगने की संभावना हो , वहाँ न जाएँ । 

क्या Epilepsy के मरीज गाड़ी चला सकते हैं ?

पश्चिमी देशों में यदि किसी एपिलेप्सी के मरीज को 10 वर्षों तक एक भी seizure न आए तो ड्राइविंग लाइसेन्स मिल जाता है । हमारे देश में पुराने नियम को follow किया जा रहा है जिसके अनुसार एपिलेप्सी के मरीज को ड्राइविंग लाइसेन्स नहीं मिलता है । 

अतः एपिलेप्सी के मरीज़ को ड्राइविंग शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए । डॉक्टर मरीज को एपिलेप्सी आने की संभावना के आधार पर निर्णय ले सकते हैं । 

Epilepsy के बारे में प्रचलित भ्रांतियों में कितनी सच्चाई है ?

एपिलेप्सी के बारे में जानकारी और जागरूकता के अभाव में बहुत सारी भ्रांतियाँ प्रचलित हैं । 

  1. एपिलेप्सी जादू-टोने से होती है ? — इस आधुनिक युग में भी बहुत से लोग एपिलेप्सी को जादू-टोने की बीमारी मानते हैं । इसलिए लोग न्यूरोलॉजिस्ट से मिलने के बजाय झाड़- फूँक में लगे रहते हैं , जिससे बार – बार seizure का attack आते रहता है । बार – बार seizure आने से ब्रेन में लगातार damage होते रहता है । 
  2. यह मानसिक बीमारी है ? – बहुत से लोग एपिलेप्सी को मानसिक बीमारी या स्ट्रेस से होने वाली बीमारी मान लेते हैं और न्यूरोलॉजिस्ट के वजाय  मानसिक रोग विशेषज्ञ से इलाज करवाते रहते हैं । 
  3. Seizure का attack जूता सुंघाने से ठीक हो जाता है ?- यह गावों में बहुत ही आम धारणा है जोकि बिलकुल गलत है । इसके अलावा बहुत से लोग seizure के दौरान नाक बंद करने या मुँह में पानी डालने लगते हैं । नाक बंद करने से मरीज को ऑक्सीज़न की कमी हो सकती है जिससे मरीज के ब्रेन को damage हो सकता है । मुंह में पानी डालने से यह पानी फेफरे में जा सकता है जिससे न्यूमोनिया हो सकता है और यह जनलेवा भी हो सकता है । 

Epilepsy के मरीज शादी कर सकते हैं !

जैसा कि हम जानते हैं कि एपिलेप्सी का इलाज दवाओं से संभव है, एपिलेप्सी के मरीज बिलकुल शादी कर सकते हैं । कुछ cases जिसमे seizure के साथ – साथ अन्य बहुत से complications जैसे encephalopathy भी होती हैं , उन cases में शादी संभव नहीं है । 

अतः निर्णय लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए । 

क्या Pregnancy में Epilepsy की दवाएं सुरक्षित हैं ?

गर्भावस्था में Epilepsy की पुरानी दवाओं का बच्चे पर बुरा असर होता था । खासकर Valproate नाम की दवा से बच्चे में abnormality की संभावना ज्यादा रहती है । लेकिन जो नई दवाएं हैं वो pregnancy में बहुत सुरक्षित हैं । इसलिए गर्भधारण से पहले न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह अवश्य लेनी चाहिये ताकि गर्भधारण से पहले सही दवा select कर शुरू की जा सके । 

कुछलोग pregnancy के दौरान दवा लेना छोड़ देते हैं , जोकि बहुत गलत है । Pregnancy में seizure आना बच्चे के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक है । Pregnancy में seizure आना दवाओं से होने वाले संभावित नुकसान से ज्यादा ख़तरनाक होता है । 

इसलिए pregnancy के दौरान एपिलेप्सी की दवा बिलकुल न छोड़ें । 

Epilepsy से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं ?

बहुत से मामलों में हम एपिलेप्सी को होने से रोक सकते हैं । इसे समझने के लिए हमें एपिलेप्सी के कारणों को पुनः ध्यान में लाना होगा । 

  1. सुरक्षित प्रसव- जैसा हमने देखा कि प्रसव से संबन्धित complications एपिलेप्सी का बहुत महत्वपूर्ण कारण है । अतः हम हॉस्पिटल में प्रसव करवाकर बच्चों में एपिलेप्सी की संभावना को कम कर सकते हैं । खासकर ऐसे हॉस्पिटल जहां जन्म के समय बच्चे के डॉक्टर उपलब्ध रहते हों वहाँ प्रसव करवाने पर complications की संभावना काफी कम हो जाती है । 
  2. नियमित टीकाकरण- जन्म के बाद सारे उबलब्ध टीके अवश्य लगवाने चाहिए । खासकर BCG, Measles और Japanese Encephalitis (JE) के टीके एपिलेप्सी से बचाव के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं । BCG का टीका ब्रेन में होने वाले TB से बचाता है । Measles का टीका एक जानलेवा बीमारी SSPE से बचाता है । SSPE एक जानलेवा बीमारी है जिसमें एपिलेप्सी के अलावा और भी कई गंभीर लक्षण होते हैं ।  JE का टीका हमें एक खतरनाक Encephalitis से बचाता है । JE और SSPE के  बारे में भी हम अलग से चर्चा करेंगे । 
  3. Head injury- इससे बचने के लिए हमें ट्राफिक नियमों का पालन करना चाहिए । बाइक चलाते समय हेलमेट अवश्य पहनना चाहिए क्योंकि इससे काफी हदतक head injury को कम किया जा सकता है । Old age में घर या बाथरूम में गिरने की संभावना ज्यादा रहती है जिसके लिए सावधानी बरतनी चाहिए । कभी-कभी Dementia, Parkinsonism या joint disease भी गिरने का कारण होता है किसके लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए । 
  4. खान -पान में सफाई – जैसा हमने देखा कि NCC हमारे देश में एपिलेप्सी का बहुत महत्वपूर्ण कारण है । जमीन के नीचे होने वाले सब्जी -सलाद को अच्छी तरह धोकर खाने से हम NCC से बच सकते हैं । 
  5. स्ट्रोक- Old age में स्ट्रोक एपिलेप्सी का एक महत्वपूर्ण कारण है । इसलिए स्ट्रोक से बचकर हम एपिलेप्सी की संभावना को भी कम कर सकते हैं । इसके लिए हमें स्मोकिंग नहीं करनी चाहिए, नियमित व्यायाम करना चाहिए और खान – पान में परहेज करना चाहिए । यदि पहले से Diabetes या ब्लड प्रेसर की बीमारी हो तो नियमित इसकी दवा लेनी चाहिए । 

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